राहुल-ख़रगे बनाम मोदी-शाह?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पास काम अधिक और समय बहुत कम है| हम सभी जानते है की अंदरूनी कलह से लेकर दल बदलुओं से परेशान है पार्टी| उधर राहुल गांधी की कारपोरेट विरोधी बयानों से लगता है की वह pro-reforms, growth-oriented position से थोड़ा हटकर वितरणात्मक और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों की ओर बढ़ने का सुझाव दे रहे है|
पार्टी को तय करना होगा की आर्थिक उदारीकरण के अपने तीन दशक लंबे समर्थन पर उसकी स्थिति क्या होगी| पार्टी में चुनाव ख़त्म होते-होते राहुल गाँधी ने साफ़ कह दिया था वह अध्यक्ष के सुझाव पर ही चलेंगे| पार्टी के उदयपुर चिंतन शिविर में ली गयी संकल्पों का क्या होगा ? प्रश्न बहुत हैं … उधर संसदीय चुनाव अब दूर नहीं – २०२४ में होना है| वहां क्या राहुल गाँधी और मल्लिकार्जुन खरगे नरेंद्र मोदी की एक विशालकाय छवि के खिलाफ – जहाँ अमित शाह जैसे एक संचालक भी मौजूद हैं – कोई चुनौती दे पाएंगे? कुछ लोगो का मानना हैं की कांग्रेस २०२४ की चुनाव जीत तो नहीं पायेगी, लेकिन सीटें कहीं ज्यादा ले आएगी| फिलहाल प्रश्न ये है की डूबती कांग्रेस को तिनके से ज्यादा क्या मिल सकता है ?
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